Jul 25, 2008

जीवनसाथी

तुमको बस देखूं, तुम्हारी आँख में तारे पढूं
मुश्किलों के दिन, दियों की जोत के बारे पढूं

बन में परेशां परकटे, बादल उतर आएं जहाँ
बिजलियों के बीच बहकर, धीर के धारे पढूं

धूल उड़ बिछ जाएगी, थोड़ा सफ़र है गर्द का
ग़म समय में याद करके, याद के प्यारे पढूं

राहत मिले फ़ुर्सत करूं, फ़ुर्सत मिले राहत करूं
उलझ के ज्वर जाल टूटें, प्यार के पारे पढूं

क्या करूं क्या ना करूं, किस बात की तौबा करूं
सबसे बड़े गुलफ़ाम, तुमके नाम के नारे पढूं

इस बार से, उस पार से, हर जन्म से, अवतार से
मांग लूँ हर बार, सुख दुःख संग सब सारे पढूं