tag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post2860126326012202439..comments2023-07-06T16:57:05.144+05:30Comments on हरी मिर्च: हाशिये पर अल्प विरामAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-15993811793803079862008-03-07T22:57:00.000+05:302008-03-07T22:57:00.000+05:30बहुत खुब ,वहां तक - पहुँच ही नहीं पाते -जहाँ के लि...बहुत खुब ,वहां तक - पहुँच ही नहीं पाते -<BR/>जहाँ के लिए चले थे?<BR/>एक एक शव्द तरीफ़ का मोहताज हे, <BR/>धन्यवाद एक सुन्दर कविता के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-803264847570784512008-03-07T20:40:00.000+05:302008-03-07T20:40:00.000+05:30वेहद सुंदर और सारगर्भित कविता , बधाईयाँ !वेहद सुंदर और सारगर्भित कविता , बधाईयाँ !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-45233120343555205252008-03-07T19:35:00.000+05:302008-03-07T19:35:00.000+05:30भाई वाह आपने तो किसी को भी नही बख्शा हजूरभाई वाह आपने तो किसी को भी नही बख्शा हजूरडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-77925633712325901172008-03-07T19:10:00.000+05:302008-03-07T19:10:00.000+05:30आज आपकी इस कविता को पढ़कर अचानक मन में सवाल पैदा हु...आज आपकी इस कविता को पढ़कर अचानक मन में सवाल पैदा हुआ. गिलास में रखी ताज़ी हरी मिर्च और आपकी कविता में क्या सम्बन्ध हो सकता है?मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-21828484427259145622008-03-06T21:59:00.000+05:302008-03-06T21:59:00.000+05:30मैं भी अजीब आदमी हूंआलसी तो शायद नंबर एक काहरी मिर...मैं भी अजीब आदमी हूं<BR/>आलसी तो शायद नंबर एक का<BR/>हरी मिर्च की तिताई भा गई<BR/>भूल गया स्वाद मिष्टी और केक का <BR/>अच्छा है-बोफ़्फ़ाईनsiddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-48218741717979460932008-03-05T13:53:00.000+05:302008-03-05T13:53:00.000+05:30मेरा सिर गरम है, इसलिए भरम है।क्या करूं, कहां जाऊं...मेरा सिर गरम है, इसलिए भरम है।<BR/>क्या करूं, कहां जाऊं, दिल्ली या उज्जैन।<BR/>मुक्तिबोध से पहले गजानन माधव इस भरम में इस कदर उलझे कि अंधेरे को तार-तार कर गए।चारों ओर बिखरी कविता और पलक झपकते, खुलते बनते-मिटते बिम्ब, शब्दों का संजाल आपको इस कदर बेचैन करता कि जो कुछ बाहर आया ही नहीं अभी गर्भ में समाया है, संभावनाओं में उसे भी तराश लेते हैं।<BR/>'बगैर चमत्कार किये जीते हैं गाभिन छंद-<BR/>हवा, मिट्टी, खुले, धुएँ और धूल के बीचों-बीच,<BR/>जैसे शर्म, दर्प, अर्पण, हिचक, अस्पष्ट, चाहत,<BR/>विराग, संदेह और सम्मान -<BR/>वितानों में आते हैं, और आते-जाते हैं लगातार....<BR/>जारी रहने की संभावना लिए। अच्छा है।Sandeep Singhhttps://www.blogger.com/profile/17906848453225471578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-37198522458662577432008-03-05T05:07:00.000+05:302008-03-05T05:07:00.000+05:30जैसे बाँट जाने की वसीयत,लेकर जनमता है, हर एक परिवा...जैसे बाँट जाने की वसीयत,<BR/>लेकर जनमता है, हर एक परिवार ?<BR/><BR/>भाई , मैं तो यही मान रहा हूं कि फोन पर हुई बात को सही करने में लगे हैं आप। सच, लगे रहें। ये छौने से , पखेरु से, फल-फूल-पत्ती से शब्द सहजता से जब आपकी छांह में दिखते हैं तो अर्थवान हो उठती है कविता।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-22594931026313426352008-03-04T22:37:00.000+05:302008-03-04T22:37:00.000+05:30बहुत खूब सर. बहुत खूब.वैसे एक बात पूछता हूँ. इतनी ...बहुत खूब सर. बहुत खूब.<BR/><BR/>वैसे एक बात पूछता हूँ. इतनी निडरता अगर कविता नहीं ले आई तो फिर कौन जिम्मेदार है?Shiv Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/16210136982521324733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-2295552541015257392008-03-04T17:06:00.000+05:302008-03-04T17:06:00.000+05:30कविता और कुछ करे या न करे, पर हमारी इंसानियत और भा...कविता और कुछ करे या न करे, पर हमारी इंसानियत और भावनाओं को बचाए रखने की जददोजहद तो कर ही सकती है।<BR/>वैसे इस दिल से निकली कविता के लिए इस कवि की ओर से बधाई।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-81995578292037717572008-03-04T14:07:00.000+05:302008-03-04T14:07:00.000+05:30कबीर सा रा रा रा रा रा रा रा राराराराराराराराजोगी ...कबीर सा रा रा रा रा रा रा रा रारारारारारारारा<BR/>जोगी जी रा रा रा रा रा रा रा रा रा रा रीभोजवानीhttps://www.blogger.com/profile/13471814882417416836noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-43739712580897632752008-03-04T11:33:00.000+05:302008-03-04T11:33:00.000+05:30"लगता नही कभी बनाएगी,कविता मुझे तो, बेफ़िकर, बेखौफ़,..."लगता नही कभी बनाएगी,<BR/>कविता मुझे तो, बेफ़िकर, बेखौफ़, सीधा, सच्चा और होशियार ।"<BR/>कौन से डोक्यूमेन्ट पर यह शर्त लिखी है ?!<BR/><BR/>बस एक ही काम करती है कविता....रूह का मिरर इमेज बन सकती है...<BR/><BR/>वैसे आप धीरे धीरे शब्दों को अपने पास आने दे रहे हैं...ज़रा ध्यान से कहीं बेफ़िकर, बेखौफ़, सीधा, सच्चा और होशियार बना ही ना दे...<BR/><BR/>बेहद पसंद आई।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-748527557643416362008-03-04T11:12:00.000+05:302008-03-04T11:12:00.000+05:30इतनी सीधी सच्ची बेखौफ कहने के बाद भी ?इतनी सीधी सच्ची बेखौफ कहने के बाद भी ?Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-62507559748008246562008-03-04T10:40:00.000+05:302008-03-04T10:40:00.000+05:30मैं यह कहता हूं कि कभी मिर्ची वाली प्लेट आपकी गोद...मैं यह कहता हूं कि कभी मिर्ची वाली प्लेट आपकी गोद में सजवाकर आपके साथ बैठूं, और सवाल करूं कि होजुर, ये कहंवा-कहंवा की उड़ानें हो रही हैं?..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-60671862443876681642008-03-04T10:10:00.000+05:302008-03-04T10:10:00.000+05:30Ab hum kya kahen, aapne itna khuch keh diya. Kuch ...Ab hum kya kahen, aapne itna khuch keh diya. Kuch chora hi nahi.<BR/><BR/>Bari achi terah bandha hai shabdo koTarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.com