tag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post6104857848432867336..comments2023-07-06T16:57:05.144+05:30Comments on हरी मिर्च: साधारण का साधारण गीतAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-71243678794392177402008-05-17T01:23:00.000+05:302008-05-17T01:23:00.000+05:30क़दमों को ठहरने का हुनर ही नहीं आयासब मंजिलें सर ह...क़दमों को ठहरने का हुनर ही नहीं आया<BR/>सब मंजिलें सर हो गयीं, घर ही नहीं आया.<BR/><BR/>क्या है भीडू? कुछ लिख नईं रयेला है?विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-41440732842961928472008-05-17T01:20:00.000+05:302008-05-17T01:20:00.000+05:30क़दमों को ठहरने का हुनर ही नहीं आयासब मंजिलें सर ह...क़दमों को ठहरने का हुनर ही नहीं आया<BR/>सब मंजिलें सर हो गयीं, घर ही नहीं आया.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-68933578385694556812008-05-16T21:58:00.000+05:302008-05-16T21:58:00.000+05:30कहाँ हैं भाई....कुछ लिखें...कहाँ हैं भाई....कुछ लिखें...बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-50133423783702235682008-05-15T21:07:00.000+05:302008-05-15T21:07:00.000+05:30कलरव और कोलाहल के बीच ये खामोशी कैसी है, ये कैसी व...कलरव और कोलाहल के बीच ये खामोशी कैसी है, ये कैसी व्यस्तता है जो एक कवि को उसकी लय और प्रवाह और गति से भटका रही है. ऐसा क्या है जो स्थगित हो गया है छंद का फूटना, राग का आरोह, और एक जिद्दी धुन का जुबान पर फिर फिर लौटना. ऐसा क्या है की ग़ज़ल आदमी को नहीं गा रही है और सफर आदमी को नहीं तै कर रहा है..<BR/>दूसरे शब्दों में अजगर अपनी मांद में सो रहा है, क्योंकि उसके खंडित व्यक्तित्व को अखबार निकलने से फुरसत नहीं, पर आप क्यों खामोश हैं महीने भर से बॉसआस्तीन का अजगरhttps://www.blogger.com/profile/15811514788578363221noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-34706852847465762952008-05-15T17:51:00.000+05:302008-05-15T17:51:00.000+05:30आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई....अब लगता है बार बार...आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई....अब लगता है बार बार आना पड़ेगा. बहुत खूब लिखा है.pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-51904091890278764512008-05-15T07:15:00.000+05:302008-05-15T07:15:00.000+05:30जोशी जी, साधारण का असाधारण गीत है यह। अद्भुत। अगले...जोशी जी, साधारण का असाधारण गीत है यह। अद्भुत। अगले गीत का इंतजार है।Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-90662550401151577892008-05-11T23:29:00.000+05:302008-05-11T23:29:00.000+05:30what next?what next?मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-15632488839504336822008-04-29T22:58:00.000+05:302008-04-29T22:58:00.000+05:30hush hudak.... vah lovely prayog!hush hudak.... vah lovely prayog!मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-29920802947253457512008-04-29T22:55:00.000+05:302008-04-29T22:55:00.000+05:30hush hudak.... vah lovely prayog!hush hudak.... vah lovely prayog!मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-30245225066243526692008-04-28T23:32:00.000+05:302008-04-28T23:32:00.000+05:30'बादल को पानी बोता है'- वाह! क्या बात है! मनीष भा...'बादल को पानी बोता है'- वाह! क्या बात है! <BR/>मनीष भाई, कहाँ अंतर्ध्यान हो गए हैं? हमारी गली में आजकल आना-जाना बंद है!विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-27478477593395061042008-04-25T21:06:00.000+05:302008-04-25T21:06:00.000+05:30अतीव सुन्दर !अतीव सुन्दर !शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-31694617071666762472008-04-25T17:46:00.000+05:302008-04-25T17:46:00.000+05:30भाव,शब्द के जादूगरबस यूं ही लिखते जाना....भाव,शब्द के जादूगर<BR/>बस यूं ही लिखते जाना....Sandeep Singhhttps://www.blogger.com/profile/17906848453225471578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-16818508311100093942008-04-24T12:21:00.000+05:302008-04-24T12:21:00.000+05:30जो बड़े रहें बढ़ते जाएँ, जो खड़े रहें चढ़ते जाएँ। ज...जो बड़े रहें बढ़ते जाएँ, <BR/>जो खड़े रहें चढ़ते जाएँ। <BR/>जो अड़े रहें भिड़ते जाएँ, <BR/>जो पड़े रहें, सहते जाएँ। <BR/><BR/>क्या बात कही है.. बहुत अच्छे.. सुंदर रचना..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-80564607772195196052008-04-21T20:43:00.000+05:302008-04-21T20:43:00.000+05:30Bahut khoob !! Aise hee likhte rahiye ..Aurhum pad...Bahut khoob !! <BR/>Aise hee likhte rahiye ..<BR/>Aur<BR/>hum pad ker khush hote rahein !लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-23884127833522506672008-04-21T13:10:00.000+05:302008-04-21T13:10:00.000+05:30मनीष भाइया आज पहली बार आपके ब्लाग मै आने का सौभाग्...मनीष भाइया आज पहली बार आपके ब्लाग मै आने का सौभाग्य मिला."साधाराण सा साधारण गीत" से शुरु किया तो गाडी "चलोगे?", "छोटे सावाल" से होते हुए "प्रथम" पर जाकर रुकी. आप तो शब्दों के जादुगर हैं. लेकिन ये बात मजे कि लगी कि रास अल खेमा मै रह्ते हुए आपका कवि ह्र्दय लिखने के लिये दोबारा प्रेरित हो गया है. अगली कविता/ लेख का इन्तजार रहेगा!Unknownhttps://www.blogger.com/profile/16756753758165598484noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-64830035480097569052008-04-20T16:37:00.000+05:302008-04-20T16:37:00.000+05:30फुटकर-चिल्लर के बाजीगर, गाजा-बाजा गाते आना।""बच्चो...फुटकर-चिल्लर के बाजीगर, गाजा-बाजा गाते आना।""<BR/>बच्चों को हम अक्सर हलाला और फिल्ज़ कहते हैं जो खिलखिलाते(खनकते) प्यारे लगते हैं, हम बड़े रियाल और दरम जैसे फीके काग़ज़ के फूल से.... <BR/>साधारण सा गीत असाधारण सा भाव लिए ....मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-74949454489110724112008-04-19T23:13:00.000+05:302008-04-19T23:13:00.000+05:30क्या करते हो मनीष भाई!!! इतना बेहतरीन लिखने को किस...क्या करते हो मनीष भाई!!! इतना बेहतरीन लिखने को किसने कहा आपसे...बाकी सब क्या दुकान में ताला डाल दें?? बताईये!! बताईये!! :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-55060121223125066792008-04-19T15:02:00.000+05:302008-04-19T15:02:00.000+05:30भइए मजा आ गया । आपकी भाषा पर हमें रश्क होता है । ...भइए मजा आ गया । आपकी भाषा पर हमें रश्क होता है । अच्छी चिल्लर है खनकाते हुए बढ़ते जाईये । हम खनक को सुनकर मस्त हो रहे हैं ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-34323541234452124682008-04-19T12:59:00.000+05:302008-04-19T12:59:00.000+05:30गाजा बाजा के बाजीगरफुटकर-चिल्लर देते जानाक्या बात ...गाजा बाजा के बाजीगर<BR/>फुटकर-चिल्लर देते जाना<BR/><BR/>क्या बात कह गए जोशिम साहब, जिधर देखो उधर बड़े-बड़े नोट, चिल्लरों की तो आजकल बहुत ही दिक्कत चल रही है!चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-10121888048955636732008-04-18T22:28:00.000+05:302008-04-18T22:28:00.000+05:30है समय आज का विषम विकट,रफ़्तार बाँटती डांट डपट।चेहर...है समय आज का विषम विकट,<BR/>रफ़्तार बाँटती डांट डपट।<BR/>चेहरे आश्वासन लपट लिपट,<BR/>अंदाज़ नहीं क्या कलुष कपट । <BR/><BR/>तुम कारीगर के हाथों को , <BR/>औ छिन्न-भिन्न मधु खातों को , <BR/>सहला बस देना एक बार,<BR/>मरहम की पुड़िया धर जाना ।<BR/><BR/>सरस और सार्थकराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-18822496103807531532008-04-18T21:46:00.000+05:302008-04-18T21:46:00.000+05:30अरे सरल तरीके से इतनी बढ़िया कविता बन सकती है। वाह।...अरे सरल तरीके से इतनी बढ़िया कविता बन सकती है। वाह। हरी मिर्च की यह तासीर है - नहीं पता था।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-28409341010111086482008-04-18T20:38:00.000+05:302008-04-18T20:38:00.000+05:30ऐसा रहता ही होता है,बादल को पानी बोता है, तुम झूम-...ऐसा रहता ही होता है,<BR/>बादल को पानी बोता है, <BR/>तुम झूम-धूम को सरस-बरस,<BR/>थोड़ा सा पानी दे जाना । <BR/><BR/>आपकी भी एक खास अदा है साहेब......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2464290160123606883.post-42626290927601331522008-04-18T20:32:00.000+05:302008-04-18T20:32:00.000+05:30जो बड़े रहें बढ़ते जाएँ,जो खड़े रहें चढ़ते जाएँ।जो ...जो बड़े रहें बढ़ते जाएँ,<BR/>जो खड़े रहें चढ़ते जाएँ।<BR/>जो अड़े रहें भिड़ते जाएँ,<BR/>जो पड़े रहें, सहते जाएँ।<BR/><BR/><BR/>आप लिख रहे, लिखते जाएँ, <BR/>हम पढ़ रहे, पढ़ते जाएँ... !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.com