बस ना धुलें अच्छे समय के वास के दिन
वह संग चलते मरमरी अहसास के दिन
जो अंत से होते नहीं भी ख़त्म होकर
सच ठीक वैसे मृदुल के परिहास के दिन
हल्के कदम की धूप के, टुकड़े रहें जी
सरगर्म शामों के धुएँ, जकड़े रहें जी
राजा रहें साथी मेरे, जो हैं जिधर भी
बाजों को अपनी भीड़ में, पकड़े रहें जी
हों मनचले नटखट, थोड़े बदमाश के दिन
बस ना धुलें, अच्छे समय के वास के दिन
दूब हरियाली मिले, चाहे तो कम हो
रोज़े खुशी में हों, खुशी बेबाक श्रम हो
राहें कठिन भी हों, कभी कंधे ना ढुलकें
पावों में पीरें गुम, तीर नक्शे कदम हो
मैदान में उस रोज़ के शाबाश के दिन
बस ना धुलें अच्छे समय के वास के दिन
कारण ना बोलें, मुस्कुरा कंधे हिला कर
झटक कर केशों को, गालों से मिला कर
पानी में मदिरा सा अनूठा भास दे दें
हल्के गुलाबी रंग से भी ज़लज़ला कर
कुछ अनकही, भरपूर तर-पर प्यास के दिन
बस ना धुलें अच्छे समय के वास के दिन
दीगर चलें, चलते रहें राहे सुख़न में
प्यारे रहें, जैसे जहाँ में, जिस वतन में
जो आमने ना सामने हों, साथ में हों
क्लेश के अवशेष बस हों तृप्त मन में
मिलते रहें, चम-चमकते विश्वास के दिन
बस ना धुलें अच्छे समय के वास के दिन
20 comments:
मिलते रहें, चम-चमकते विश्वास के दिन
बस ना धुलें अच्छे समय के वास के दिन
-बहुत बढ़िया.
बहुत अच्छा। आशावादी गीत!
जो आमने ना सामनें हो साथ हो:आशा की आशा में आशा है। Reminded me of Emily Dickinson's Hope is the thing with feathers...
ओहो आशा, ओहोहो..
दाज्यू आमीन,
मनीष जोशी जी सोच रहा हु किस पक्तिं की तारीफ़ करु, हर पक्ति एक से बढ कर एक, एक की तरीफ़ कर के दुसरी कॊ नारज नही करना चाहता. बहुत धन्यवाद
अपने आप को रिमाईंड करते रहना भी ज़रूरी होता है कई बार ! पर गनीमत है हर बार नहीं .. ये भी आशा ...
सुंदर कविता !धन्यवाद
राहें कठिन भी हों, कभी कंधे ना ढुलकें
पावों में पीरें गुम, तीर नक्शे कदम हो
बहुत खूब... यही भाव तो जीने को चार चाँद लगा देता है.
मिलते रहें, चम-चमकते विश्वास के दिन
बस ना धुलें अच्छे समय के वास के दिन
बहुत खूब.........
बस ना धुलें अच्छे समय के वास के दिन ---puuri kavitaa hai in panktiyon me...adhbhut bhaav
बहुत अच्छा है।
बस ना धुलें अच्छे समय के वास के दिन ..
सही कहा आपने .जीवन के छोटे सुखद संस्मरण ही राह पर आगे बढ़ने का उत्साह देते हैं
thanx for reviving hope ,truly rare commodity these days,through this sublime poetry.
pls. send any no. of old hindi cartoons , i'll publish a separate post on them. darasl , i wanted hindi cartoons only ,but could not get on net.
बहुत सुंदर, प्यारी बात....
ये पंक्तियाँ याद आईं-
न हुआ न हो
मुझे विश्व का सुख श्री यदि केवल पास तुम रहो।
आप के ब्लॉग पर देर से आने का मलाल है।
ऐसा ही हो,
ऐसा ही हो
अच्छा लगा ये गीत ...
बहूत बहूत सुन्दर!!
मजा आया पढकर ,धन्यवाद
आपका गीत हिन्दी कविता की उम्र बढ़ाने वाला है मनीष भाई.
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