रात के सफ़र कटें, आख़िर सफ़र बयान बने
तुम बनो, हम बनें, काश हिन्दोस्तान बने
सिर्फ़ इतना ही गुलामों ने आज़ादों से कहा
शायद इस साल, कुछ और नए इंसान बनें
किले कीलों से जड़े हैं, महफिलें मस्तूलों में,
यही कहना है, थोड़ी बेहतर सी पहचान बने
वो ही चेहरे हैं ज़र्द, थामे हुए हैं झंडों को
कहाँ उन्हें रंग मिलें, गर्द पे मुस्कान बने
बढ़त की बाढ़ बड़ी, आला दफ्तरों से आती हैं
थाना कचहरी की है, कि कैसे यहाँ ईमान बने
इतने सालों से यही सुन के, कब उकताएंगे
मेहरबां ऐसे हालात से,आप अब परेशान बनें
[.. आज़ादी की जितनी भी शुभकामनाएं हो सकती हैं ,उनके साथ उतनी ही चेतन संवेदनाएं भी ... ]
28 comments:
बहुत खूब!! वाह!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें संग्राम
जन की आजादी लाएँ।
तुम बनो, हम बनें, काश हिन्दोस्तान बने
hindustan banne ke baad
hum bane, tum bane ek duje ke liye
शायद इस साल, कुछ और नए इंसान बनें
bahut khoob
चेतन सँवेदना का ज्वार उठे !
वँदे मातरम !
- लावण्या
बहुत बढ़िया...
स्वतन्त्रता दिवस पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं भैया..
स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।
खूब.
हालत सुधर जाये इतनी कि आप-हम अब कुछ बेईमान बनें, या फिर हो बदतरी ऐसी कि हर ओर घमासान ठनें..
आजादी पर्व के अवसर पर बधाई और शुभकामना
रात के सफ़र कटें, आख़िर सफ़र बयान बने
तुम बनो, हम बनें, काश हिन्दोस्तान बने
सही लिखा है आपने ..आजादी पर्व की बधाई
सिर्फ़ इतना ही गुलामों ने आज़ादों से कहा
शायद इस साल, कुछ और नए इंसान बनें
वो ही चेहरे हैं ज़र्द, थामे हुए हैं झंडों को
कहाँ उन्हें रंग मिलें, गर्द पे मुस्कान बने
आज के दिवस के अनुरुप ही बेहतरीन प्रस्तुति।
स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
***राजीव रंजन प्रसाद
www.rajeevnhpc.blogspot.com
www.kuhukakona.blogspot.com
अजगर आज सुबह से यही सोच रहा था कि परेड, जूतों की ताल, बैंड, पड़ोस के टीवी पर चलता प्रधानमंत्री का भाषण, कौमी तरानों के जोशो-ज़ुनून और शोर शराबे के बीच क्या कोई तमीज का मनुष्य हो सकता है? शायद हां. कई दिनों बाद इस ब्लॉग पर आकर ऐसा लगा..
रुक सा गया हूँ ओर शायद चलने में वक़्त भी लगे ....अजगर साहेब ने सही बात कही है.....आप ने कागजो में कई चीजे साथ रख दी है.....
वो ही चेहरे हैं ज़र्द, थामे हुए हैं झंडों को
कहाँ उन्हें रंग मिलें, गर्द पे मुस्कान बने
बढ़त की बाढ़ बड़ी, आला दफ्तरों से आती हैं
थाना कचहरी की है, कि कैसे यहाँ ईमान बने
इतने सालों से यही सुन के, कब उकताएंगे
मेहरबां ऐसे हालात से,आप अब परेशान बनें
आपकी पोस्ट और तरुण जी का कमेंट, दोनों के क्या कहने।
आपको भी आजादी की संपूर्ण संवेदनायुक्त शुभकामनाएं।
"तुम बनो, हम बनें, काश हिन्दोस्तान बने .."
"शायद इस साल, कुछ और नए इंसान बनें.."
बहुत बढ़िया मनीष भाई ... हमेशा की तरह .... लेकिन यहाँ तो हम भी और तुम भी - बन रहे हैं या बना रहे हैं ... रचना बहुत सुंदर है .... और उतनी ही वन्दनीय है इस देश के लोगों की सोच .... आज ६१ साल बाद भी सोच बढ़िया रखे हैं .... देश का चाहे जो हुआ हो ....
बहरहाल इस दिन पर शुभकामनाएं ...
चेतन संवेदनाएं और शुभकामनाएं : यह ख़याल नवेला है |और.. यदि यह कविता रची गयी है तो इसके आगे नयी संभावना भी.....
बने - यह तो हसरत है मित्र! पर कैसे बने, यह पता तो चले!
आज़ादी का मंत्र जप रहे ब्लॉगर भाई।
मेरी भी रख लें श्रीमन् उपहार बधाई॥
यही कहना है, थोड़ी बेहतर सी पहचान बने
-- कैसे बने बस इसी पर सोचना है और मेहनत करनी है..
देर से ही सही ... आज़ादी के दिवस पर मंगलकामना
सिर्फ़ इतना ही गुलामों ने आज़ादों से कहा
शायद इस साल, कुछ और नए इंसान बनें
wah ! achchi soch lagi aapki
बहुत खूब!
वो ही चेहरे हैं ज़र्द, थामे हुए हैं झंडों को
कहाँ उन्हें रंग मिलें, गर्द पे मुस्कान बने
आज़ादी की (और कितनी) शुभचेतन संवेदनाएं।
"तुम बनो, हम बनें, काश हिन्दोस्तान बने .."
"शायद इस साल, कुछ और नए इंसान बनें.."
बहुत सुंदर
सर, वापसी का इंतजार है....
माफी 'सर' से शुरुआत के लिए...
बस यूं मोहभंग की वजह बता दीजिए... :)
तुम बनो, हम बनें, काश हिन्दोस्तान बने
अजी आप तो लौट आओ। दो महिने हो गए हैं। उम्मीद है सब खैरियत होगी।
शुभकामनाएं....
इतने सालों से यही सुन के, कब उकताएंगे
मेहरबां ऐसे हालात से,आप अब परेशान बनें
ab iski hi zarurat hai
Zoshim ji umeed hai jald hi aapki kalam phir chalegi
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
मैं सोचता हूँ अक्सर हमारी सही पहचान बने
इसके लिए जरुरी है हम भी सही इंसान बने !!
good one...
which application are you using for typing in Hindi..? when i was searching for the user friendly Hindi typing tool...found 'quillpad'...do u use the same..?
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