क्या बताएं कब औ क्या करना है जी हुज़ूर
कैसे जीना, या किस तरह मरना है जी हुज़ूर
वैसे हैं जितने वक्त, ये मौका-ए-कायनात में
हर शाम घर में चूल्हा भी जलना है जी हुजूर
फिर मान भी लें रस्म-ए-नंगई का है रिवाज़
आदत हमें नहीं, ये बदन ढंकना है जी हुजूर
अब बेघर कहाँ रहेंगे जो हम दिल अजीज़ हैं
छत और तले दीवार को रखना है जी हुज़ूर
चश्म-ओ-चिराग तिफ़्ल हैं नादाँ हैं इस समय
तालीम के इन्तेज़ामात भी धरना है जी हुज़ूर
क्यों विज्ञापनों के राज में कहते हो सीधा चल
क्या यह नहीं सपने में सा चलना है जी हुज़ूर
6 comments:
सपनों में भी संभल-संभल के चलना नहीं है, हुज़ूर?
तिफ़्ल=? शेर के भाव से तो मासूम समझ रहा हूँ.
चश्म-ओ-चिराग तिफ़्ल हैं नादाँ हैं इस समय
तालीम के इन्तेज़ामात भी धरना है जी हुज़ूर
..वाह!
जानता हूँ आपको जरूरत नहीं है फिर भी,
हम लोगों के खातिर ही लिखे रहिये जी हुज़ूर ।
طفل t̤ifl
A s. m. An infant, a child, a young ani- mal. (Plur. Arab. اطفال Pers. طفلان).
A.P. طفلانه t̤ifl-āna, adj. Childish, like a child.
(Thanks to the Digital dictionaries of South Asia)
मुझे भी आपसे बहुत कुछ कहना
पर मेरे शब्दों की सीमित सीमा है
आशा है इस ठहरी सी चुप्पी को
समझेंगे.....जी हुजूर।
सर इधर लिखने पढ़ने में व्यस्तता बाधा बन या बहाना समझ नहीं पा रहा हूं। लेकिन कोशिश जारी है। आपसे प्रेरणा जरूर मिलती रहती है। 'बेतार की जिरह'इस बीच कई बार पढ़ी।
अब बेघर कहाँ रहेंगे जो हम दिल अजीज़ हैं
छत और तले दीवार को रखना है जी हुज़ूर
i like this one.......
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