जाने वो जब भी समन्दर से गुज़रते होंगे
डूब कर खुद-ब-खुद अन्दर से गुज़रते होंगे
उनकी देखी हुई दुनिया वैसी दुनिया है जहाँ
बरसते होंगे जहां जिस बहर से गुज़रते होंगे
दरबदर आस के दरो दर के रिसाले से कहीं
चलते चाकों में घन ठहर से गुज़रते होंगे
ऐसा सुन पाए नहीं उफ़ या आह बहते हों
खबर मालूम थी वो नश्तर से गुज़रते होंगे
सुना आँखों की हँसी बातों से न दूरी थी
पास कितने जी बवंडर से गुज़रते होंगे
कभी चट्टान पे खिली धूप को खुलकर देखो
वो उस बहार के कोहबर से गुज़रते होंगे
गुज़रते बादल किसी के हुए न हुए सबके हुए
चाहे खुद हों न हों नम घर से गुज़रते होंगे
5 comments:
मैं रेत की दोपहर से गुज़रता हुआ पहुंचा हूं. आप पानी को पूछते (समंदर वाला नहीं) मगर आपकी खबर कहां है.
bahut achhi gazal ki taseer....
उनकी देखी हुई दुनिया वैसी दुनिया है जहाँ
बरसते होंगे जहां जिस बहर से गुज़रते होंगे
सुभान अल्लाह !!!
क्या बात है भाई .... typically Manishshqe !!
उनकी देखी हुई दुनिया वैसी दुनिया है जहाँ
बरसते होंगे जहां जिस बहर से गुज़रते होंगे
nice post
http://shayaridays.blogspot.com
Post a Comment